बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की मासिक बैठक आज  कदमा में आयोजित हुई . इस साहित्यिक गोष्ठी में अतिथि शिक्षाविद तथा साहित्यकार  डॉ. मंजू ज्योत्सना    रांची से आई थीं। उन्होंने सहयोग के सदस्यों का  मार्गदर्शन करते हुए कहा कि हमारी दृष्टि हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है. वही हमारी पहचान बनती है वही हमें दूसरों से अलग बनाती है ।रचनाकार भी सामाजिक प्राणी है और उसकी अभिव्यक्ति में सामाजिक सरोकार  दिखनी चाहिए। समाज की भलाई के लिए लिखा जाने  वाला साहित्य मूल्यवान होता है। साहित्य का प्रमुख गुण और ध्येय है हृदयस्पर्शी होना। साहित्यकार संवेदनशील होता है. समाज के अच्छे बुरे को महसूस कर  बदलाव लाने का प्रयत्न करना चाहिए।उदार दृष्टिकोण सकारात्मक संदेश देना  समाज को दिशा देना  अच्छे साहित्य के गुण होते हैं।
डॉ अरुण सज्जन  ने  बहुभाषीय साहित्यिक संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी और मुख्य अतिथि का परिचय  दिया।  डॉ मुदिता चन्द्रा  ने  सदस्यों का  परिचय मुख्य अतिथि से करवाया और कहा कि   बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग  की बैठकों की साहित्यिक चर्चा का विषय निर्धारित कर देना चाहिए।अधिकांश रचनाकार  संस्कृतिकर्मी  भी  हैं।डॉ रागिनी भूषण ने  अपनी लिखी ग़ज़ल सुनाकर सबों का मन मोह लिया ।श्रीमती नीता सागर और इंदिरा तिवारी ने अपनी एक मनोरंजक प्रस्तुति दी. अरुणा झा, वीणा  पांडेय, ममता आहूजा ,कृष्णा सिन्हा  ,शीला कुमारी ,आरती , निवेदिता ,वीणा पांडे, सरोज, रश्मि  बारला ,सुधा गोयल  दीपिका ,सरिता सिंह  आदि अनेक  सदस्यों ने साहित्यिक चर्चा में अपना योगदान दिया। सहयोग की सचिव विद्या तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा  कि अगले वर्ष सहयोग की स्थापना के  25 वर्ष पूरे हो जाएंगे इसलिए कई सारे कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो गई है .अध्यक्ष डॉ.जूही समर्पिता ने भी सदस्यों को संबोधित किया।
