रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव से तेल के ग्लोबल सप्लाई में रूकावट आ सकती है. ऐसे में न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए ऑयल मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा कि इससे आने वाले महीनों में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने से तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है.
साल के अंत तक इतनी बढ़ जाएगी कीमत
वेंचुरा में कमोडिटीज और CRM हेड एनएस रामास्वामी ने कहा, “ब्रेंट ऑयल (अक्टूबर 2025) की कीमत 72.07 डॉलर से शुरू होकर 76 डॉलर तक पहुंच सकती है. 2025 के अंत तक कीमत के 80-82 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन में जंग खत्म करने के लिए 10-12 दिनों की समय सीमा दी है. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध और 100 परसेंट सेकेंडरी टैरिफ लगने का जोखिम है. इससे तेल की कीमतें और बढ़ जाएंगी.”
ट्रंप के रूख से मच सकती है उथल-पुथल
ट्रंप के इस रूख से रूस से कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों के सामने यह मुश्किल खड़ी हो जाएगी कि वे कम रेट पर कच्चा तेल खरीदे या अमेरिका के भारी-भरकम एक्सपोर्ट टैरिफ का सामना करे. वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चे तेल (सितंबर 2025) के लिए एक्सपर्ट्स को मौजूदा 69.65 डॉलर के स्तर से 73 डॉलर तक कीमत बढ़ने की उम्मीद है.
2025 के अंत तक कीमत बढ़कर 76-79 डॉलर तक जा सकती है, जबकि नीचे की ओर समर्थन 65 पर रहेगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन चीजों से वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मच सकती है. प्रोडक्शन कैपेसिटी में कमी से सप्लाई को झटका लग सकता है, जिससे 2026 तक तेल की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी.
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने एएनआई को बताया, ”रूस हर दिन ग्लोबल (ऑयल) सप्लाई सिस्टम में 50 लाख बैरल तेल निर्यात करता है. अगर रूस को ही इससे बाहर कर दिया जाता है, तो कच्चे तेल की कीमतें काफी बढ़ जाएंगी – 100 से 120 डॉलर प्रति बैरल या इससे भी ज्यादा.”