इस्तीफे के तुरंत बाद पैक किया सामान, नेताओं से भी बनाई दूरी… जगदीप धनखड़ जल्द खाली करेंगे उपराष्ट्रपति भवन

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत के साथ ही सोमवार को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक चिट्ठी लिखते हुए स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपने इस्तीफे का ऐलान किया है. अब सूत्रों से जानकारी मिली है कि धनखड़ जल्द ही उपराष्ट्रपति भवन खाली करेंगे और उन्होंने इस्तीफे के तुरंत बाद सामान पैक करना शुरू भी कर दिया था.
इस्तीफे के साथ ही पैक किया सामान

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिस दिन जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था, उसी दिन से सामान पैक करना शुरू कर दिया था. हालांकि उनका इस्तीफा एक दिन बाद यानी मंगलवार को स्वीकार किया गया. धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है और विपक्ष का आरोप है कि सरकार के दबाव में आकर उन्हें उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा.
जानकारी के मुताबिक जगदीप धनखड़ से कुछ विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने मुलाकात करने का समय मांगा था, लेकिन वक्त नहीं मिला. शिवसेना के सांसद संजय राउत और एनसीपी के शरद पवार ने भी जगदीप धनखड़ से मंगलवार को मिलने के लिए समय मांगा था लेकिन समय नहीं मिला.
इस्तीफे के बाद से धनखड़ किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता से मुलाकात नहीं कर रहे हैं.

पद छोड़ने के बाद मिलेगा सरकारी बंगला?

प्रोटोकॉल के मुताबिक कार्यकाल पूरा होने के बाद उपराष्ट्रपति को टाइप-8 कैटेगरी का सरकारी बंगला अलॉट किया जाता है. लेकिन धनखड़ का कार्यकाल 2027 में पूरा होना था और उन्होंने इससे पहले ही खुद इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार की तरफ से उन्हें सरकारी बंगला मिलता है या फिर वह किसी प्राइवेट बंगले में शिफ्ट होंगे.

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हर किसी के लिए हैरानी भरा फैसला है, क्योंकि अगर सोमवार को उनके शेड्यूल को देखा जाए तो सब कुछ सामान्य चल रहा था. उन्होंने सत्र की शुरुआत के पहले दिन राज्यसभा के मनोनीत सांसदों को शपथ दिलाई और 12 बजे के करीब बीएसी यानी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक की अध्यक्षता भी की. उपराष्ट्रपति होने के नाते वह संसद के उच्च सदन के सभापति भी थे.
इसके बाद शाम को साढ़े चार बजे के करीब उन्होंने बीएसी की दूसरी मीटिंग की अध्यक्षता की. साथ ही कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात भी की थी, जिनमें जयराम रमेश शामिल थे. रमेश ने भी इस बात की ओर इशारा किया है कि दोपहर एक बजे से शाम चार बजे की बीच कुछ ऐसा हुआ, जो धनखड़ के इस्तीफे की वजह बना. इस्तीफे पर जयराम रमेश ने कहा कि जगदीप धनखड़ मानदंडों, मर्यादाओं और नियमों के प्रति बेहद सजग थे और उनका मानना था कि उनके कार्यकाल में इन नियमों की लगातार अवहेलना की जा रही थी.
हालांकि अब तक पुष्ट तौर पर स्वास्थ्य कारणों को ही उनके इस्तीफे की वजह माना जा रहा है, जैसा कि खुद जगदीप धनखड़ ने बताया है. उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, ‘स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और मेडिकल सलाह का पालन करने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के मुताबिक इस्तीफा देता हूं.’

धनखड़ को मिलेंगी ये सुविधाएं

देश के उपराष्ट्रपति को पद छोड़ने के बाद भी तमाम सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं. इस लिहाज से जगदीप धनखड़ को भी पेंशन, आवास और अन्य सुविधाएं मिलेंगी. उन्हें पद छोड़ने के बाद स्टाफ दिया जाता है, जिसमें दो अस्सिटेंट और दो चपरासी होते हैं. उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद भी उनके ऑफिशियल वर्क में ये स्टाफ मदद करेगा. साथ ही उन्हें डॉक्टरी सलाह, अस्पताल में भर्ती होने, दवाओं और मेडिकल टेस्ट, यहां तक कि ऑपरेशन तक की मुफ्त सुविधा दी जाती है.
पूर्व उपराष्ट्रपति के रुटीन चेकअप के लिए एक डॉक्टर की भी ड्यूटी लगाई जाती है. इसके अलावा ऑफिस खर्च के लिए 60 हजार रुपये अलग से दिए जाते हैं, जबकि उनके स्टाफ का वेतन सरकार देती है. उनके सरकारी आवास का बिजली-पानी का बिल मुफ्त होता है. पूर्व उपराष्ट्रपति को अपने पार्टनर या किसी एक रिश्तेदार के साथ देश में कहीं भी हवाई या रेल यात्रा की मुफ्त सुविधा मिलेगी.

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