एसटी दर्जा के लिए कुड़मी समाज गोलबंद, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 20 सितंबर से ‘रेल टेका डहर छेका

रांचीः अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल कुड़मी समाज एक बार फिर एसटी दर्जा की मांग को लेकर गोलबंद हो रहा है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर 6 सितंबर को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आदिवासी कुड़मी समाज के बैनर तले 20 सितंबर से कई जगहों पर अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन की घोषणा कर दी गई है. साथ ही कुरमाली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी गई है. झारखंड में टोटेमिक कुड़मी एकता मंच ने आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है. इधर, रांची रेल मंडल ने हर आपात स्थिति से निटपने की तैयारी कर ली है. स्टेट पुलिस के साथ आरपीएफ ने समन्वय बनाकर प्लान ऑफ एक्शन तैयार कर लिया है.

क्या है ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन’?

रेल टेका का अर्थ है- रेल रोको, वहीं ‘डहर’ रास्ते या सड़क को कहते हैं. तो डहर छेका का अर्थ हुआ – सड़क छेकने अर्थात् सड़क अवरुद्ध करना. इस तरह से झारखंड के स्थानीय भाषा में रेल रोकने और सड़क जाम करने को रेल टेका डहर छेका कहा जाता है. कुड़मी समाज यही ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन करने जा रहा है.

कहां-कहां रेल रोको आंदोलन की है तैयारी

टोटेमिक कुड़मी एकता मंच के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने बताया कि कोल्हान में सोनुआ, गम्हरिया, गालुडीह के अलावा छोटानागपुर के मुरी, बरकाकाना, गद्दी, पारसनाथ चंद्रपुरा में रेल टेका होगा. साथ ही पश्चिम बंगाल में चार जगह और ओडिशा में एक जगह पर रेल रोकने की तैयारी हो चुकी है.

कैसी होगी आंदोलन की रूपरेखा

आदिवासी कुड़मी समाज मंच के सदस्य सूरज महतो ने बताया कि इस आंदोलन में हर घर से कुड़मी समाज के लोग जुड़ेंगे. आंदोलन स्थल पर ही खाना बनेगा और डेरा लगेगा. उनसे कहा गया कि कई आदिवासी नेता इस मांग का विरोध कर रहे हैं. जवाब में उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले ज्यादातर मिशनरी के लोग हैं. वे लोग चर्च जाते हैं. ईसाई बन चुके हैं. उनको बोलने का कोई हक नहीं है. जहां तक कुछ आदिवासी नेताओं की बात है तो ये लोग चेहरा चमकाने के लिए बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोल्हान में ‘संथाल’ और ‘हो’ समाज के लोग उनकी मांग पर किसी तरह की टीका टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.

आदिवासी कुड़मी समाज के बैनर तले जागरुकता अभियान

आदिवासी कुड़मी समाज मंच के सेंट्रल कमेटी के अध्यक्ष शशांक शेखर महतो ने सरायकेला खरसांवा के सिनी रेलवे स्टेशन पर 20 सितंबर को सुबह 5 बजे से रेल रोकने की सूचना दी है. पत्र के जरिए तीन मांगों का जिक्र किया गया है. पहला है एसटी का दर्जा, दूसरा, कुड़माली भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करना और तीसरा है सरना धर्म कोड को लागू करना. आंदोलन को सफल बनाने के लिए गांवों में देर रात तक घूम-घूमकर ग्रामीणों को जोड़ने की कवायद चल रही है.

उन्होंने कहा कि पूर्व में कुड़मी समाज को आदिवासी का दर्जा मिला हुआ था लेकिन देश की आजादी के बाद एक साजिश के तहत इसको ओबीसी की श्रेणी में डाल दिया गया. लिहाजा, मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

रांची रेल मंडल की तैयारी

आरपीएफ कमांडेंट पवन कुमार ने बताया कि हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर ली गई है. राज्य पुलिस के साथ भी मीटिंग हुई है. जहां-जहां रेल रोको आंदोलन की संभावना है, वहां-वहां आरपीएफ के साथ राज्य पुलिस बल को तैनात किया गया है. आंदोलन वाली जगहों पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है. अगर कोई रेल रोकने की कोशिश करता है तो प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल रेल रूट नहीं बदला गया है.

साल 2022 में शुरू हुआ था कुड़मी समाज का आंदोलन

कुड़मी समाज को एसटी का दर्जा देने की मांग ने साल 2022 में जोर पकड़ा था. कोरोना काल के ठीक बाद झारखंड के कई रेलवे स्टेशनों पर कई दिनों तक प्रदर्शन हुआ था. साल 2022 में 20 सितंबर को ही आंदोलन की शुरुआत हुई थी. यह आंदोलन करीब 9 दिनों तक चला था. इसके बाद साल 2023 में भी 20 सितंबर को आंदोलन शुरू हुआ था जो 7-8 दिन तक चला था. साल 2024 में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होने की वजह से आंदोलन नहीं हुआ. इस साल यह आंदोलन दिल्ली के जंतर मंतर तक अपनी धमक दे चुका है. यह ऐसा मामला है जिस पर राजनीतिक दल खुलकर न तो समर्थन कर पा रहे हैं और न ही विरोध.

Share this News...