हरे राम सिंह के यहाँ गोली कांड में लिप्त सभी शूटर और स्थानीय साजिशकर्ता पकड़ में आ गए. इससे पीड़ित पक्ष के साथ भले ही पुलिस को भी राहत महसूस हो रही हो,लेकिन यह भी सच है अपराधियों और रंगदारी वसूली में लगे माफिया तत्वों को रक्तबीज की तरह पनपने की शक्ति प्राप्त है. इनका समूल नाश करना अकेले पुलिस के बूते की बात नहीं, सम्पूर्ण सरकारी और न्यायिक तंत्र को दुर्गा और भोले वाली ‘शक्ति’ का प्रदर्शन करना होगा और एक समय अखंड बिहार में जब मुख्यमंत्री बिन्देश्वरी दूबे थे तब जिस तरह माफिया उन्मूलन अभियान चला था वैसा अभियान छेड़ना होगा. यह काम सरकार के स्तर से ही संभव हो सकेगा जिसमें मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव और केंद्र में गृह मंत्री, विदेश मंत्री तक को हालात की गंभीरता समझनी होगी, अन्यथा फ़ाइल -फ़ाइल के खेल में उलझ कर कारोबारियों की जिंदगी खतरे में पड़ी रहेगी. बात सिर्फ जमशेदपुर की नहीं, जहाँ प्रिंस खान ने पहली बार दस्तक देकर हरे राम सिंह को धमकाया, रांची और धनबाद में आए दिन ऐसी धमाकियां आती हैं और शूटर भय पैदा करते रहते हैं. लोगों को यह कारण समझ में नहीं आ रहा कि दुबई ( संयुक्त अरब अमीरात )से अपराधियों के प्रत्यार्पण के लिए सन्धि समझौता रहने के बावजूद प्रिंस खान को दुबई से भारत लाने और जरुरी कानूनी कार्रवाई करने में सरकार अभी तक सफल क्यों नहीं हो पा रही. खबर है,हरे राम सिंह के यहाँ फायरिंग में लिप्त तीनों शूटरों को पुलिस ने पकड़ लिया है. जिस स्कूटी पर सवार होकर शूटर आए थे उसे भी बरामद कर लेने की सूचना है.पुलिस को तीनों शूटरों के पास जो तीन पिस्तौलें थी वह भी हाथ लग गयी हैं.विदित हो एक शूटर गोपाल उर्फ़ रवि महानन्द को पुलिस ने छठ की रात सिदगोड़ा से गिरफ्तार किया जिसने पुलिस पार्टी पर गोली भी चलायी और इस क्रम में पुलिस की गोली उसके पांव में लगी.उस रात उसके दोनों साथी भागने में सफल हो गए थे. लेकिन अब जैसा पता चला है पुलिस ने राजेश और उसके साथ एक अन्य को पकड़ लिया है. तीनों ने 10 अक्टूबर को भुइयाडीह में श्री सिंह के घर पर शूटिंग की थी. इस प्रकार शूटर, साजिशकर्ता तो गिरफ्तार हो गए, हथियार मिल गए, लेकिन पूरी वारदात के खलनायक दुबई में बैठे प्रिंस खान और झारखण्ड की एक जेल में बंद सुजीत सिन्हा को कैसे काबू किया जाय, यह यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब केंद्र और राज्य सरकारों से ही मिल सकता है. शूटरों की गिरफ्तारी से साजिश का खुलासा हो सकता है, लेकिन धमकियों को साबित करने वाले नए शूटर रक्तबीज की तरह आसानी से कभी भी उपलब्ध हो जाएं इससे इंकार नहीं किया जा सकता .संयुक्त अरब अमीरात ( यू ए ई )के साथ भारत का प्रत्यार्पण सन्धि है. भारत सरकार दुबई में बैठे माफिया को भारत लाने के लिए यू ए ई की सरकार से मिलकर प्रयास करने में जितनी देर कर रही उतना झारखण्ड के कारोबारी, चाहे वे जमशेदपुर के हों, धनबाद के या रांची या अन्य जिलों के, खतरा झेल रहे. पुलिस के बड़े अधिकारी प्रत्यार्पण के सवाल पर माथा पकड़ लेते हैं और कुछ नहीं बोल कर अपना दायरा और विवशता जाहिर कर देते हैं.
