दिनकर जी अगले हजार वर्षों तक इसी तरह जीवित रहेंगे- बुद्धिनाथ मिश्र ,,,,जमशेदपुर में बच्चों का सामूहिक रश्मि रथी के पाठ का आयोजन करें- ऋत्विक उदयन

दिनकर परिषद की स्वर्ण जयंती सह दिनकर जयंती समारोह

जमशेदपुर 11 अक्टूबर बिहार एसोसिएशन के साहित्यिक सांस्कृतिक पाश्र्व दिनकर परिषद के तत्वावधान में आज राजेंद्र विद्यालय प्रेक्षागृह में दिनकर परिषद की स्वर्ण जयंती सह दिनकर जयंती समारोह का आयोजन किया गया। बिहार एसोसिएशन के अध्यक्ष बी चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में प्रख्यात कवि गीतकार एवं चिंतक बुद्धि नाथ मिश्र मुख्य अतिथि एवं रामधारी सिंह दिनकर के पात्र ऋतिक उदयन विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए .
मुख्य अतिथि बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि:रामधारी सिंह दिनकर वह पारस थे जिससे लोहा का स्पर्श हो तो सोना ही नहीं हो जाय, बल्कि वह पारस बन जाये. दिनकर जी वह साहित्यकार थे जिनसे पूरा साहित्य जगत आलोकित होता है. दिनकर जी अगले हजार वर्षों तक इसी तरह जीवित रहेंगे, क्योंकि आज का भव्य आयोजन देख कर लगता है कि रचनाकार- साहित्यकार कभी मरते नहीं. दिनकर जी कालजयी है. मार्क्सवाद का आज खुद उसके गोमुख सोवियत संघ के आज के हिस्सों में नामलेवा कोई नहीं.यह दुर्भाग्य है कि बिहार के पाठ्यक्रमों में दिनकर जी को काट दिया गया है और अनपढ लोगों के हाथ में सत्ता सौंपी जाएगी तब ऐसा ही होगा. जिस राज्य में अपने बहुमूल्य तत्व की उपेक्षा होती हो वही पिछड़ा राज्य कहलाता है. बिहार इस नजरिया से पिछड़ा राज्य है और बिहार के बाहर इसे लोग बेवकूफो का राज्य कहा जाता है. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में अपने रचनाकारों को बढा चढा कर प्रस्तुत किया जाता है और ये राज्य साहित्य – संस्कृति में विकसित कहे जाते हैं. उन्होंने उस सन्दर्भ का जिक्र किया जब मंच पर चढते समय जब पंडित नेहरू के पांव लडख़ड़ाए थे तब दिनकर जी ने उन्हें संभालते हुए कहा कि जब राजनीति लडख़ड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है. पहले के राजनेता और प्रधानमंत्री कवि सम्मेलनों में आकर गर्वित होते थे, लेकिन आज के प्रधानमंत्री इतने बड़ेे हो चुके हैं कि उन्हें यहाँ आना छोटापन लगता है. बिहार की भूमि ने जो रत्न दिया उसकी उपेक्षा की गयी है. उन्होंने सबका समर्थन माँगा कि दिनकर जी को” भारत रत्न ” की उपाधि मिलनी चाहिए.
ऋत्विक उदयन, प्रपौत्र रामधारी सिंह दिनकर : ने कहा कि 30 वर्षों तक कॉर्पोरेट सेवा के उपरांत दिनकर साहित्य के प्रचार और विकास का व्रत लिया है. पिता ( दिनकर जी के पुत्र केदार नाथ सिंह ) के निधन के बाद माँ के साथ पटना में प्रवास है. उन्होंन ेराजेंद्र विद्यालय की प्रधानाचार्या से निवेदन किया कि दिनकर जयंती पर वह जमशेदपुर में बच्चों का सामूहिक रश्मि रथी के पाठ का आयोजन करें. उन्होंने कहा जब बाबा का देहावसन हुआ उनकी उम्र 3 वर्ष थी. इसीलिए उनके साथ मेरी कोई निजी स्मृति तो स्मरण नहीं, लेकिन अन्य बड़ों से बाबा के बारे में सुनता आया हूँ जिससे वह मुझे सजीव प्रतीत होता है. उन्होंने कहा दिनकर साहित्य से जुडी विभिन्न संस्थाओं से जुडक़र देश भर में दिनकर साहित्य के उत्थान पर काम कर रहा हूँ. ऋत्विक ने महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन आदि के उद्गारों का जिक्र किया कि दिनकर जी को एक नहीं चार ज्ञानपीठ पुरष्कार मिलने चाहिए.
इसके पूर्व बिहार एसोसिएशन द्वारा संचालित राजेंद्र विद्यालय के छात्राओं ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। बिहार एसोसिएशन के अध्यक्ष बी एन चौधरी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। दोनों अतिथियों के साथ मंतस्थ बिहार एसोसिएशन के अध्यक्ष बी चौधरी महासचिव सीपीएन सिंह, संयुक्त सचिव अमरेश सिन्हा ने दिनकर जी के चित्र का अनावरण कर एवं चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया। समारोह में विधायक सरयू राय भी शामिल हुए।
दिनकर परिषद की वरीय सदस्य डॉक्टर रागिनी भूषण के मंगलाचरण के साथ सभा की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के साथ संगठन के पदाधिकारी ने दिनकर परिषद की स्वर्ण जयंती पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया ।बिहार एसोसिएशन के सदस्य भवेश कुमार ने दिनकर परिषद का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समारोह के अगले चरण में दिनकर परिषद की ओर से दिनकर जयंती के अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं के काव्य पाठ की प्रस्तुति हुई अंत में विभिन्न प्रतियोगिता के विजेता को पुरस्कृत किया गया। बिहार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अमरेश सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया

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