चांडिल, 28 अक्टूबर :
सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल में सोमवार की शाम स्वर्णरेखा नदी के शहरबेड़ा छठ घाट पर हुई दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। संध्या अर्घ्य के दौरान एक नाबालिग सहित तीन लोगों की डूबने से मौत हो गई। घटना दुखद जरूर है, परंतु यह भी स्पष्ट है कि जिला प्रशासन ने पहले से ही एहतियाती कदम उठाए थे। इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा चेतावनी की अनदेखी ने इस हादसे को जन्म दिया।
मंगलवार सुबह प्रशासन और स्थानीय गोताखोरों के अथक प्रयास से 45 वर्षीय संजय सिंह का शव बरामद कर लिया गया है. इससे पहले 14 वर्षीय आर्यन यादव का शव सोमवार देर शाम मिला था जबकि तीसरे युवक 19 वर्षीय प्रतीक कुमार की तलाश अब भी जारी है. घटना के बाद शहरबेड़ा घाट पर मातम पसरा हुआ है.
गहरे पानी में जाने से हुआ था हादसा
स्थानीय लोगों का कहना है कि आर्यन नहाते समय गहरे पानी में चला गया था उसे बचाने की कोशिश में संजय और प्रतीक भी तेज धारा में बह गए.देखते ही देखते श्रद्धा का माहौल चीख-पुकार में बदल गया. हादसे की सूचना मिलते ही उपायुक्त नितीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुणायत तुरंत घटनास्थल पहुंचे. दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने रातभर रेस्क्यू अभियान की निगरानी की और सुबह होते ही फिर से खोज अभियान को तेज करने का निर्देश दिया.
जानकारी के अनुसार, प्रशासन ने छठ पर्व को लेकर पहले ही विशेष तैयारी की थी। उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत ने जिले के सभी घाटों का निरीक्षण किया था। इधर, अनुमंडल पदाधिकारी सहित प्रशासनिक महकमे ने चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर डेंजर जोन के बोर्ड लगाए थे। जहां यह हादसा हुआ, उस शहरबेड़ा घाट समेत अन्य घाटों पर ‘डेंजर जोन’ के बोर्ड लगाए गए थे, लगातार माइकिंग के माध्यम से लोगों से अपील की गई थी कि वे गहरे पानी में न उतरें। साथ ही सुरक्षा के लिए पुलिस बल, गोताखोर और स्वास्थ्य कर्मियों की भी तैनाती की गई थी।
लेकिन अफसोस की बात यह है कि कुछ श्रद्धालुओं ने प्रशासनिक निर्देशों की अनदेखी की और निर्धारित सीमा से आगे चले गए, जिससे यह हादसा हुआ। प्रशासन की तत्परता का ही परिणाम था कि घटना की सूचना मिलते ही गोताखोरों की टीम तुरंत सक्रिय हुई और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया।
घटना के बाद प्रशासन ने समीक्षा कर सभी घाटों की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि आने वाले समय में प्रशासन केवल चेतावनी देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जो लोग सुरक्षा नियमों की अनदेखी करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
“आस्था का सम्मान करते हुए हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी की जान खतरे में न पड़े। प्रशासन हर संभव कदम उठा रहा है, लेकिन जनता का सहयोग भी उतना ही जरूरी है।”
शहरबेड़ा घाट की यह घटना प्रशासन के लिए भी आत्ममंथन का अवसर बनी है। अब जिला प्रशासन और अधिक सतर्कता के साथ कार्य करेगा — घाटों पर स्थायी सुरक्षा घेराबंदी, अतिरिक्त रोशनी, प्रशिक्षित गोताखोरों की स्थायी टीम और जन-जागरूकता अभियान को और सशक्त किया जाएगा।
आदित्यपुर के संजय यादव, प्रतीक यादव और डिमना के आर्यन यादव की असमय मौत से पूरा इलाका शोक में है। पर प्रशासन ने यह संकल्प लिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो — इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
आस्था बनी रहे, पर सुरक्षा सर्वोपरि हो — यही अब प्रशासन की प्राथमिकता है।
