- पार्टी ने कई सुरक्षित और महत्वपूर्ण सीटों पर नए युवा और पूर्व सांसदों के परिवार के उम्मीदवारों को टिकट दिया है
सीतामढ़ी में सुनील पिंटू पर दांव
सीतामढ़ी से मिथिलेश कुमार की जगह सुनील पिंटू उम्मीदवार होंगे. सुनील पिंटू पहले भारतीय जनता पार्टी में थे, 2019 के चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े सांसद बने. इस बार उनका लोकसभा का टिकट कट गया, लेकिन पार्टी ने अब उन्हें विधानसभा का टिकट दिया है.
राजनगर से सुजीत पासवान को टिकट
राजनगर सुरक्षित सीट से पार्टी ने पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान की जगह सुजीत पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है. नरपतगंज से पार्टी ने मौजूदा विधायक जयप्रकाश यादव का टिकट काटकर देवयंती यादव को उम्मीदवार बनाया है. औराई सीट से पार्टी ने पूर्व मंत्री रामसूरत राय का टिकट काट दिया. उनकी जगह रमा निषाद को उम्मीदवार बनाया है. राम निषाद पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी है. हाल ही में अजय निषाद कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे.
20 साल से विधायक रहे सिन्हा भी बेटिकट
कटोरिया सुरक्षित सीट से पार्टी ने निक्की हेंब्रम का टिकट काटकर पूरनलाल टुडू को उम्मीदवार बनाया है. कुम्हरार सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक अरुण सिन्हा का टिकट काटकर संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. अरुण सिन्हा बीते 20 साल से विधायक थे. उनकी जगह पार्टी ने अब युवा उम्मीदवार उतारा है.
इस सूची में विभिन्न जातीय समूहों, आयु वर्गों, क्षेत्रीयता और लैंगिक प्रतिनिधित्व की झलक
मिलती है. भाजपा की पहली सूची में जातीय संतुलन को बड़े ध्यान से साधने की कोशिश की गई है. बिहार की राजनीति में जाति अब भी सबसे निर्णायक कारक है और पार्टी ने अपने सामाजिक गठजोड़ को व्यापक बनाने की रणनीति अपनाई है.
ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और कायस्थ, ये चार पारंपरिक सवर्ण समुदाय भाजपा के स्थायी वोट बैंक हैं. सूची में करीब 27-30% उम्मीदवार इन्हीं वर्गों से आते हैं. भूमिहार उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है, विशेषकर पटना, मुजफ्फरपुर और बक्सर जैसे जिलों में. राजपूत उम्मीदवार को पश्चिम बिहार (सारण, भोजपुर, कैमूर, और आरा) से ज्यादा दिए गए हैं. ब्राह्मण और कायस्थ को सीमित संख्या में लेकिन रणनीतिक सीटों पर उतारा गया है, विशेषकर
शहरी क्षेत्रों में.
ओबीसी वर्ग से 40 फीसदी उम्मीदवार
पार्टी की सूची में करीब 40% उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से हैं. इनमें यादव अपेक्षाकृत कम हैं, जबकि कुर्मी, कोइरी, बनिया, तेली, नोनिया, और कुशवाहा समुदायों को प्राथमिकता दी गई है. नीतीश कुमार की परंपरागत कुर्मी बिरादरी से करीब 8-9 उम्मीदवार, कोइरी (कुशवाहा) से करीब 10 उम्मीदवार, जबकि तेली और नोनिया जैसी पिछड़ी जातियों को भी 4-5 टिकट दिए गए हैं. यह स्पष्ट है कि भाजपा का उद्देश्य ओबीसी में गैर-यादव समूहों को सशक्त
बनाना और जेडीयू पर निर्भरता घटाना है.
राज्य की आबादी में करीब 36% हिस्सेदारी रखने वाले अति पिछड़ों को भाजपा ने करीब 20% सीटें दी हैं. इनमें नाई, लोहार, कहार, मल्लाह, धोबी, कहार, कुहार जैसी जातियां प्रमुख हैं. पार्टी की रणनीति यह है कि वह “ईबीसी बनाम यादव” का राजनीतिक नैरेटिव मजबूत रखे.
पासवान समुदाय के उम्मीदवारों को प्राथमिकता
SC आरक्षित 38 सीटों में से पहली सूची में 10-12 उम्मीदवार इस वर्ग से हैं. पासवान समुदाय के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है, जो चिराग पासवान की एलजेपी से भाजपा के संबंधों को सहेजने का संकेत है. मांझी और मुसहर समुदाय से भी टिकट दिए गए हैं, जिससे जीतन राम मांझी के प्रभाव को बैलेंस किया जा सके.
भाजपा की सूची में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है. इनमें से अधिकांश महिलाएं या तो पार्टी लाएं या तो पार्टी से लंबे समय से जुड़ी कार्यकर्ता हैं या किसी स्थानीय प्रभावशाली परिवार से आती हैं.
राजनीतिक रूप से क्या संदेश देना चाहती है भाजपा?
राजनीतिक रूप से, भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए “महिला सशक्तिकरण” के मुद्दे को केंद्र में रख रही है, खासकर जब नीतीश सरकार “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” जैसी योजनाएं चला रही है.
महिला उम्मीदवारों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें एक-तिहाई SC/OBC वर्ग से आती हैं, जबकि कुछ अति पिछड़ी जातियों से भी हैं, जो सामाजिक विविधता का प्रतीक है.
भाजपा ने इस सूची में युवाओं और अनुभव का संतुलन बनाने की कोशिश की है. यह संयोजन भाजपा की रणनीति को दिखाता है कि वह “युवा ऊर्जा और अनुभवी नेतृत्व” दोनों को साथ लेकर चलना चाहती है.
नंदकिशोर यादव का भी टिकट कटा
पटना साहिब सीट से पार्टी ने मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का टिकट काटकर रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. नंदकिशोर यादव पिछले 30 साल से विधायक थे. आरा सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक अमरेंद्र सिंह का टिकट काटकर पूर्व विधायक संजय टाइगर को उम्मीदवार बनाया है. अमरेंद्र सिंह 78 साल के हैं. वे मंत्री भी रहे हैं.