आज सुबह 4.46 बजे 6 वैज्ञानिकों ने क्यों किया वीडियो कॉल? जानें पहलगाम पर अमित शाह ने संसद में क्या बताया

 

नई दिल्‍ली 29 जुलाई
सुबह के 4 बजकर 46 मिनट हो रहे थे, जब गृहमंत्री अमित शाह को एफएसएल के 6 वैज्ञानिकों का वीडियो कॉल आया. वैज्ञानिकों ने कुछ खोखे दिखाते हुए कहा, ‘ये वही गोलियां हैं, जो आतंकियों ने पहलगाम में चलाई थी.’ गृहमंत्री के लिए ये पुष्टि बहुत सुकून देने वाली थी. पहलगाम में जब आतंकी हमला हुआ था, तो उसके बाद वे परिजनों से मिले थे. इसमें महज वो महिला भी थी, जिसकी महज 6 दिन पहले शादी हुई थी. अमित शाह ने जैसा कि लोकसभा में बताया कि वो दिन आज तक नहीं भूल पाए हैं.

सुबह 4:46 बजे आए एक वीडियो कॉल ने उन्‍हें एक सुकून तो दिया ही होगा! सुकून इस बात का कि जिन आतंकियों ने कई सुहाग उजाड़े, भारतीय जवानों ने उन्‍हें ‘पाताल’ से भी ढूंढ कर मार डाला. हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में यही तो कहा था, ‘पहलगाम हमले के आतंकी, चाहें जहां भी छिपे हों, उन्‍हें बख्‍शा नहीं जाएगा.’ भारतीय जवान उनकी उम्‍मीदों पर खरे उतरे. उन्‍होंने आखिरकार संयुक्‍त अभियान में उन आतंकियों को ढूंढ कर मार डाला.

लोकसभा में बताई पूरी कहानी
लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर छिड़ी बहस के बीच जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खड़े हुए, तो माहौल अचानक गंभीर हो गया. उन्होंने पहलगाम हमले की पूरी कहानी संसद के पटल पर रख दी- इतनी विस्तार से कि घंटे, मिनट और सेकेंड तक बता डाले. उन्होंने कहा, ‘मैं बताता हूं कि कैसे इन आतंकियों के आका मारे गए… नाम और जगह के साथ.’ उन्‍होंने एक-एक कर सारे तथ्‍य सामने रखे, और वो भी सुबह 4:46 बजे हुई, पुष्टि के साथ.
उन्होंने कहा, ‘किसी को संशय रखने की जरूरत नहीं है. बैलिस्टिक रिपोर्ट मेरे हाथ में है. सुबह 4 बजकर 46 मिनट पर छह वैज्ञानिकों ने वीडियो कॉल पर कहा- ‘100 फीसदी वही गोलियां हैं जो आतंकियों ने चलाई थीं.”

NIA, सेना और सुरक्षा बलों की साझी ताकत
अमित शाह ने बताया कि इस हमले की जांच एनआईए को दी गई, जिसकी सजा दर 96% से अधिक है. इसके अलावा सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुनिश्चित किया कि कोई आतंकी देश छोड़कर भाग न पाए.

1055 लोग, 3000 घंटे, हर सवाल के पीछे एक चेहरा
उन्होंने बताया कि इस हमले की जांच आसान नहीं थी. 1055 लोगों से 3000 घंटे से अधिक पूछताछ की गई- मरने वालों के परिजन, खच्चर चलाने वाले, पर्यटक, होटल कर्मचारी, फोटोग्राफर- कोई नहीं छूटा. हर बयान रिकॉर्ड किया गया, हर शक पर स्केच बना.
स्केच बना… फिर ऐसे जुड़ते गए सारे टुकड़े
इसी स्केच की मदद से तलाश शुरू हुई. कुछ दिन बाद बशीर और परवेज नाम के दो स्थानीयों की पहचान हुई, जिन्होंने आतंकियों को शरण दी थी. दोनों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल की रात 8 बजे, तीन आतंकी परवेज के ढोक (पर्वतीय झोंपड़ी) में आए थे. उनके पास AK-47 और M-9 कार्बाइन थी. होटल में उन्होंने खाना खाया, चाय पी और निकलते वक्त मसाले तक ले गए.’

एक-एक सबूत दे रहे गवाही
हमले के बाद बरामद कारतूसों के खोखे चंडीगढ़ की फॉरेंसिक लैब भेजे गए. परीक्षण में पता चला कि वही राइफलें थीं, जिनसे हमला हुआ था. फिर स्केच से मिलान हुआ.

गिरफ्तार आरोपियों ने उन तीनों आतंकियों की लाशों की पहचान की- जिन्हें हमारे जवानों ने मार गिराया. एफएसएल की अंतिम पुष्टि सुबह 4:46 बजे हुई.

‘…आतंकी मरे, इसका भी आनंद नहीं!’
शाह ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा- ‘मैं सोचता था कि जब ये सूचना सुनेंगे तो हर किसी को संतोष होगा. लेकिन यहां तो आतंकी मारे जाने का भी किसी को आनंद नहीं है. चेहरों पर खुशी नहीं, बल्कि स्याही छा गई है.’

शाह ने बताया कि हमला तीन पाकिस्तानी आतंकियों ने किया था. उन्होंने दो AK-47 और एक M-9 कार्बाइन का इस्तेमाल किया था. अब सब कुछ स्पष्ट है- कौन थे, कहां छिपे थे, किसने पनाह दी, और आखिरकार, कैसे वे मारे गए.

उन्होंने जताया कि ये सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था. ये भरोसे की बहाली थी. जताया कि भारत अपने नागरिकों को भूलता नहीं, और अपने दुश्मनों को छोड़ता नहीं.

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