देशभर में 7 मई को बजेंगे हवाई हमले की चेतावनी वाले सायरन, केंद्र ने राज्यों को दिए मॉक ड्रिल के निर्देश,54 साल बाद देश में होने जा रही मॉक ड्रिल

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई राज्यों को 7 मई (बुधवार) को सिविल डिफेंस ड्रिल (नागरिक सुरक्षा अभ्यास) आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

सूत्रों के अनुसार, इस अभ्यास के दौरान एयर रेड वार्निंग सायरन बजाए जाएंगे और आम नागरिकों व छात्रों को इस बात की ट्रेनिंग दी जाएगी कि दुश्मन के हमले के वक्त खुद की सुरक्षा कैसे करें.
केंद्र सरकार के इन निर्देशों की टाइमिंग बेहद महत्‍वपूर्ण है. पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में आयोजित की गई थी. 1971 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच दो मोर्चों पर युद्ध हुआ था. इस युद्ध के 54 सालों बाद अब देश में मॉक ड्रिल होने जा रही है.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने 7 मई को प्रभावी नागरिक सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल करने को कहा है. इसमें निम्‍न कदम उठाने के लिए कहा गया है.
राज्यों को दिए गए निर्देश

सूत्रों ने यह भी बताया कि ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट की तैयारी और महत्वपूर्ण प्लांट्स व संस्थानों को जल्दी से छुपाने (कैमोफ्लाज करने) की व्यवस्था भी की जाएगी.

राज्यों से कहा गया है कि वे अपने निकासी (evacuation) योजनाओं को अपडेट करें और उसका रिहर्सल करें, ताकि आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके. यह अभ्यास देश की आंतरिक सुरक्षा और आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी को मजबूत करने के मकसद से किया जा रहा है.
पीएम मोदी ने दी है चेतावनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेतावनी दी है कि आतंकी हमले को अंजाम देने और इसकी साजिश रचने वालों को ऐसी सजा मिलेगी जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. यह भावना लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने दोहराई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक दिन पहले ही देश को आश्वस्त करते हुए कहा था कि “आप जो चाहते हैं वह निश्चित रूप से होगा”. इसके साथ ही उन्‍होंने भारत के अगले कदम को लेकर व्‍यापक संकेत दिए हैं.
भारत ने उठाए हैं कई कूटनीतिक कदम

भारत ने अब तक पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्‍थगित करना भी शामिल है. यह ऐसा कदम है, जिसे भारत ने 1965 और 1971 के युद्धों और 1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान भी नहीं उठाया था. साथ ही भारत में पाकिस्तान के मिशनों के राजनयिक कर्मचारियों की संख्या घटा दी है. पाकिस्तान ने जवाब में कहा है कि जल प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा और शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की धमकी दी है.

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