सबों ने जताया शोक
धनबाद : तमिलनाडु सरकार की प्रधान सचिव (ऊर्जा विभाग) और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व धनबाद की पूर्व डीसी डॉ. बीला राजेश (डॉ बीला वेंकटेशन) का सोमवार को निधन हो गया। धनबाद में डॉ. बीला राजेश 12-02-2004 से 26-04-2007 तक उपायुक्त के रूप में कार्यरत थीं. 56 वर्षीय बीला पिछले दो महीनों से चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स इलाके के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं, जहाँ इलाज के दौरान उनकी हालत लगातार गंभीर बनी रही और आज उनका असामयिक निधन हो गया।
बीला वेंकटेशन का जन्म वर्ष 1969 में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता वेंकटेशन पुलिस विभाग में डीजीपी रह चुके हैं, जबकि उनकी माँ रानी वेंकटेशन एक सक्रिय कांग्रेसी नेता रही हैं और 2006 में विधायक भी चुनी गईं।
बीला ने चेन्नई में ही शिक्षा प्राप्त की और मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1997 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुईं।
प्रारंभिक नियुक्ति बिहार कैडर में हुई, लेकिन पति और आईपीएस अधिकारी राजेश दास तमिलनाडु में पदस्थापित होने के कारण उनका कैडर स्थानांतरण हुआ और आगे चलकर उन्होंने झारखंड तथा केंद्र सरकार में भी कार्य किया। लंबे प्रयासों के बाद अंततः उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला, जहाँ उन्होंने लगातार अपनी छाप छोड़ी।
अपने प्रशासनिक करियर के दौरान उन्होंने चेंगलपट्टू की डिप्टी कलेक्टर, शहरी नियोजन निदेशक, मत्स्य पालन निदेशक जैसे अहम पदों पर काम किया। 2019 में उन्हें तमिलनाडु का स्वास्थ्य सचिव बनाया गया।
कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण दौर में उन्होंने स्वास्थ्य सचिव के रूप में राज्य की चिकित्सा व्यवस्थाओं को संभाला और संकट की घड़ी में उनकी कार्यशैली की व्यापक सराहना हुई।
इसके बाद उन्हें वाणिज्यिक कर विभाग और हाल ही में ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बीला वेंकटेशन के निधन पर पूरे तमिलनाडु राज्य में शोक की लहर है। राज्यपाल आर.एन. रवि ने इसे प्रशासनिक सेवा की बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि वह एक समर्पित और कुशल अधिकारी थीं। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शोक संदेश में लिखा कि कोविड काल के दौरान उनका योगदान अविस्मरणीय है और उनका असामयिक निधन तमिलनाडु के लिए अपूरणीय क्षति है। सहित कई राजनीतिक नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
लोगों ने सोशल मीडिया और समाचार पोर्टलों पर भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। कई नागरिकों ने याद किया कि महामारी के कठिन दौर में उन्होंने साहस और धैर्य के साथ जनता का मार्गदर्शन किया था। आज उनका जाना न सिर्फ तमिलनाडु प्रशासनिक तंत्र के लिए, बल्कि आम जनजीवन के लिए भी एक बड़ी क्षति है। धनबाद में भी उन्हें जानने वाले शोक व्यक्त कर रहे हैं.