सदर अस्पताल और होली फैमिली में जन्मीं 45 कन्याओं को अग्रवाल समाज ने बेबी किट देकर किया अभिनंदन
झुमरीतिलैया- नवरात्र महापर्व और श्री अग्रसेन जयंती के शुभ अवसर पर अग्रवाल समाज ने एक अनोखा और प्रेरणादायी आयोजन किया। समाज की महिलाओं ने इस कार्यक्रम को किलकारी उत्सव का नाम दिया, जिसमें सदर अस्पताल और होली फैमिली अस्पताल में जन्मी नवजात कन्याओं का सम्मान किया गया। आयोजन के दौरान दोनों अस्पतालों में कुल 45 बच्चियों को किट प्रदान किए गए। इनमें सदर अस्पताल की 25 बेटियां और होली फैमिली की 20 बेटियां शामिल थीं। समाज की महिलाएं बताया कि नवरात्र के दिनों में जन्म लेने वाली कन्याएं स्वयं माता दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं। उनका कहना है कि जब समाज में कन्या भ्रुण हत्या जैसी कुप्रथाएं पनप रही हैं, ऐसे समय में बेटियों का सम्मान और संरक्षण जरूरी है। बेटियां न केवल परिवार में प्रतिष्ठा और सम्मान लाती हैं बल्कि वही भविष्य में माँ, बहन और बहू के रूप में रिश्तों को जोड़ने वाली धुरी भी बनती हैं। कार्यक्रम की परियोजना निर्देशक नेहा हिसारिया और शालू चौधरी ने भावुक स्वर में कहा “यदि बेटियां नहीं होंगी तो नवरात्र की अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन कौन करेगा? रक्षा बंधन पर कलाई पर राखी कौन बांधेगा? और जब बेटियां ही नहीं होंगी तो बहू कहां से आएंगी?” उन्होंने समाज से आह्वान किया कि हर परिवार को बेटियों के जन्म पर गर्व करना चाहिए और उनके पालन-पोषण, शिक्षा व विवाह की जिम्मेदारी को बोझ नहीं, आशीर्वाद समझना चाहिए।
पौधा देकर परिवारों का किया सम्मान
किलकारी उत्सव के दौरान नवजात बच्चियों के परिवारों को पौधे देकर सम्मानित किया गया। अग्रावाल समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि बेटी और पौधा दोनों जीवन का आधार हैं, दोनों की देखभाल करने से ही समाज और वातावरण का संतुलन बना रहेगा।
बेटी समय पर व्याहों, बहू पढ़ाओ अभियान का लिया गया संकल्प
श्री अग्रसेन जयंती पर समाज की महिलाओं ने इस वर्ष “बेटी ब्याहों, बहू पढ़ाओ” का नारा बुलंद किया। महिलाओं ने कहा कि वर्तमान समय में बेटियों की शिक्षा और करियर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसके कारण समय उम्र के अनुसार विवाह देर हो रही है और कई सामाजिक समस्याएं जन्म ले रही हैं। ऐसे में समय पर बेटियों के ब्याह की भी चिंता करनी चाहिए। और 18 से 21 वर्ष के बीच विवाह उपरांत बहुओं को ससुराल में बेटी की तरह पढ़ाने और आगे बढ़ाने का संकल्प लेने की जरूरत । उनका कहना था कि बहुओं को भी यदि शिक्षा और प्रगति का अवसर मिलेगा तो परिवारिक रिश्तों में तनाव और तलाक लीव एण्ड रिलेशनसीप जैसी स्थितियों से बचा जा सकेगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम ने बांधा समां
उत्सव का शुभारंभ समाज के छह बच्चियों के द्वारा गणेश वंदना से हुआ। इसके बाद माता दुर्गा का आवाहन कर वातावरण को भक्तिमय बनाया गया। देवेशी अग्रवाल और अदव पिलानिया ने संयुक्त रूप से माता की स्तुति प्रस्तुत की। कृष्ण-राधा प्रेम पर आधारित झांकी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। रिचा खाटूवाला, खुशबु केडिया, पूजा सिंघानिया स्नेहा चौधरी की प्रस्तुतियों ने भी उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर उपस्थित दर्शको ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का मनोबल को बढाया।
बेटियों के सम्मान से खिला समाज का चेहरा
कार्यक्रम में समाज की महिलाएं सारिका लड्डा, मीना हिसारिया, ज्योति परशुरामपुरीया, आशा बजाज सहित अस्पतालों के कर्मी मौजूद रहे। पूरे आयोजन के दौरान महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। बेटियों की किलकारियों से जब अस्पताल परिसर गूंज उठा तो हर किसी के चेहरे पर प्रसन्नता और गर्व झलक रहा था।
अग्रवाल समाज द्वारा आयोजित इस अनूठे उत्सव ने यह संदेश दिया कि जब तक बेटियों का मान-सम्मान नहीं होगा, तब तक समाज पूर्ण नहीं हो सकता। किलकारी उत्सव ने न केवल नवरात्र की पावन बेला को और भी मंगलमय बना दिया बल्कि समाज को यह सोचने पर भी मजबूर किया कि बेटियों के बिना कोई भी पर्व, परिवार और परंपरा अधूरी है।