कल है सर्वपितृ अमावस्या, पितृ पक्ष के अंतिम दिन कैसे करें पिंडदान और तर्पण? यहां जानें तरीका |

कल 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है, जो पितृ पक्ष का अंतिम दिन है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। रात में सूर्य ग्रहण रहेगा, लेकिन भारत में सूतक मान्य नहीं होगा। जानें पिंडदान और तर्पण का सही समय क्या है?

21 सितंबर को पड़ रहा है पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या।

: पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है, जिसे महालया भी कहा जाता है। इस दिन वे लोग भी श्राद्ध और तर्पण करते हैं जिनके पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या कल 21 सितंबर 2025, रविवार को पड़ रही है और खास बात यह है कि इसी दिन रात में सूर्य ग्रहण भी लगेगा।
ग्रहण का असर पड़ेगा या नहीं?

इस बार ग्रहण रात 10:59 बजे से 3:23 बजे तक रहेगा और भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक मान्य नहीं होगा। ऐसी स्थिति में आप दिनभर बिना रोक-टोक के श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण कर सकते हैं।
श्राद्ध का सही समय
द्रिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं और इन्हें दिन में विशेष मुहूर्त में करना चाहिए। इन्हें करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त, रोहिणा आदि मुहूर्त होता है, जो अपराह्न काल तक चलता है। इसी समय में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:50 से 12:38 बजे तक

रौहिण मुहूर्त: 12:38 से 1:27 बजे तक

अपराह्न काल: 1:27 से 3:53 बजे तक
कैसे करें पितरों का श्राद्ध

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें और पीत वस्त्र धारण करें। फिर घर या नदी तट पर पितरों के नाम से संकल्प लें। संकल्प के बाद तिल, जल और कुश से पितरों को अर्पण करें। इसके बाद अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करें। कौए, गाय, कुत्ते और चींटियों को अन्न अर्पित करना भी शुभ माना गया है।
पिंडदान और तर्पण विधि

पिंड बनाने के लिए चावल का आटा, जौ, तिल, शहद और घी मिलाकर गोल आकार के पिंड तैयार करें। इसे पीपल के पत्ते या कुश पर रखें। इन्हें पवित्र स्थान पर रखकर पितरों के नाम से जल अर्पण करते हुए मंत्र जपें- “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः”। तर्पण तांबे या पीतल के पात्र से किया जाता है और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तिल मिश्रित जल अर्पित करें।
दान और सेवा का महत्व

श्राद्ध और तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन, गौ सेवा और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

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