नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थित कर्तव्य भवन-03 का उद्घाटन किया। बाद में शाम को उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगस्त क्रांति का महीना है और
स्वतंत्रता दिवस से पहले, देश आधुनिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के पूरा होने के साथ कई ऐतिहासिक मील के पत्थर देख रहा है। उन्होंने कहा कि ये केवल कुछ नए भवन और सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। अमृतकाल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, विकसित भारत के महत्वपूर्ण निर्णय होंगे और राष्ट्र की दिशा तय होगी।
मोदी ने दावा किया कि हमने बहुत मंथन के बाद कर्तव्य भवन नाम दिया है। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन हमारे लोकतंत्र की, हमारे संविधान की मूल भावना का उद्घोष करते हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद, देश की प्रशासनिक मशीनरी दशकों तक ब्रिटिश काल में बनी इमारतों में ही चलती रही।
इन प्रशासनिक इमारतों में काम करने की स्थिति बहुत खराब थी, जहाँ काम करने वालों के लिए जगह की कमी, रोशनी की कमी और वेंटिलेशन की कमी थी। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय आवश्यक संसाधनों और सुविधाओं के अभाव के बावजूद एक सदी से भी ज़्यादा समय तक इसी इमारत से काम करता रहा।
नरेंद्र मोदी ने ने कहा कि कर्तव्य’ सिर्फ एक इमारत का नाम भर नहीं है, यह करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने की तपोभूमि है। कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है। करूणा और कर्मणता के स्नेहसूत्र में बंधा कर्मज् यही तो है कर्तव्य। उन्होंने कहा कि सपनों का साथ है — कर्तव्य। संकल्पों की आस है — कर्तव्य। परिश्रम की पराकाष्ठा है — कर्तव्य। हर जीवन में जो ज्योति जला दे, वो इच्छाशक्ति है — कर्तव्य। करोड़ों देशवासियों
की रक्षा का आधार है — कर्तव्य। माँ भारती की प्राण-ऊर्जा की ध्वज वाहक है — कर्तव्य। ‘नागरिक देवो भव’ का जाप है — कर्तव्य। राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव से किया हर कार्य है — कर्तव्य।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार, एक समग्र दृष्टि के साथ भारत के नव-निर्माण में जुटी है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है, ऐसे कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहा है। देश का कोई भी हिस्सा आज विकास की धारा से अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य भवन जैसा आधुनिक बुनियादी ढाँचा, न केवल जन-समर्थक भावना को दर्शाता है, बल्कि ग्रह-समर्थक भी है। यह भवन नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए छत पर सौर पैनल से सुसज्जित है, और उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को इसके डिज़ाइन में सहजता से एकीकृत किया गया है। आज देश भर में टिकाऊ, हरित भवन बनाने का दृष्टिकोण तेज़ी से गति पकड़ रहा है।
मोदी ने कहा कि इन प्रशासनिक भवनों की कार्य-स्थितियाँ बेहद खराब थीं…भारत सरकार के कई मंत्रालय दिल्ली में 50 अलग-अलग जगहों से संचालित हो रहे हैं। इनमें से ज़्यादातर मंत्रालय किराए के भवनों में चल रहे हैं, जिन पर सालाना डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का खर्च आता है। यह रकम केंद्र सरकार सिर्फ़ किराया चुकाने में ही खर्च कर रही है…कर्तव्य भवन भी कई बनाए जा रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इससे किराए के 1500 करोड़ रुपये बचेंगे। उन्होंने कहा कि हमें फाइलों को लेकर अपने नजरिए को बदलने की जरूरत है। एक फाइल, एक शिकायत… ये देखने में रोजमर्रा का काम लग सकता है, लेकिन किसी के लिए वही एक कागज उनकी उम्मीद हो सकती है। एक फाइल से कितने ही लोगों का जीवन जुड़ा हो सकता है।नरेंद्र मोदी ने कहा कि कितने ही देश, जो हमारे साथ-साथ आजाद हुए थे, वो तेजी से आगे बढ़ गए। लेकिन भारत वैसी तेजी से प्रगति नहीं कर पाया — इसके अपने कारण रहे होंगे… । लेकिन अब हमारा दायित्व है कि हम समस्याएं आने वाली पीढय़िों के लिए न छोड़ें।