जंगल, ज़मीन और जनजाति के लिए लड़ने वाला योद्धा

आज का दिन झारखंड के लिए बेहद भावुक है. एक युग का अंत हो गया है… आज हम बात करेंगे उस नेता की, जिन्होंने ज़मीन से उठकर आदिवासी समाज की आवाज़ को संसद तक पहुंचाया. हम बात कर रहे हैं शिबू सोरेन की… झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे की, जिन्हें लोग प्यार से ‘दिशोम गुरु’ कहते थे. आज उन्होंने 81 साल की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

जंगल, ज़मीन और जनजाति के लिए लड़ने वाला योद्धा

1944 में झारखंड के बोकारो जिले के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का जीवन आसान नहीं था. सिर्फ 7 साल की उम्र में उनके पिता सोबरा सोरेन की हत्या कर दी गई थी. कारण था – जमींदारों का ज़ुल्म. यहीं से शिबू सोरेन के मन में अन्याय के खिलाफ लड़ने की चिंगारी जली… और यही चिंगारी उन्हें आदिवासियों का सबसे बड़ा नेता बना गई.

हमेशा लड़ते रहे
1972 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) बनाई. इस पार्टी का मकसद साफ था – झारखंड को बिहार से अलग करना और आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाना. लोग उन्हें ‘दिशोम गुरु’ इसलिए कहते थे, क्योंकि वो लड़ते थे – ज़मीन के लिए, जंगल के लिए और जनजातीय समाज के सम्मान के लिए.
साल 2000 में पूरा हुआ सपना
उनकी अगुवाई में झारखंड में बड़े आंदोलन हुए. बिहार से अलग राज्य झारखंड का सपना, 2000 में जाकर पूरा हुआ – और इसका श्रेय सबसे पहले शिबू सोरेन को ही जाता है. लेकिन उनका सफर सिर्फ आंदोलन तक सीमित नहीं रहा…वो कोयला मंत्री भी बने. तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. लेकिन राजनीति में संघर्ष हमेशा उनके साथ रहा… 1994 में शिबू सोरेन पर एक हत्या का आरोप लगा, उन्हें जेल भी जाना पड़ा. हालांकि बाद में वो इस मामले से बरी हो गए.

आदिवासी समाज के लिए लड़ी लड़ाई?
शिबू सोरेन ने सिर्फ एक आंदोलन खड़ा नहीं किया, उन्होंने अगली पीढ़ी को भी तैयार किया. उनके बेटे हेमंत सोरेन आज झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, जो पिता के रास्ते पर चल रहे हैं. शिबू सोरेन ने हमेशा आदिवासी समाज की शिक्षा, ज़मीन और पहचान की लड़ाई लड़ी. उनकी वजह से कई गांवों में स्कूल खुले, आदिवासी भाषा-संस्कृति को संरक्षण मिला.

दिशोम गुरु को सलाम
आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, झारखंड की मिट्टी… आदिवासी समाज… और हर वो इंसान, जो हक और सम्मान के लिए लड़ता है – दिशोम गुरु को सलाम कर रहा है. शिबू सोरेन अब नहीं हैं, लेकिन उनकी सोच, उनका संघर्ष – आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाता रहेगा.
शिबू सोरेन का निजी जीवन
पूरा नाम शिबू सोरेन
जन्म तिथि 11 जनवरी 1944
मृत्यु तिथि 04 अगस्त 2025 (आयु 81)
जन्म स्थान नेमरा, जिला. हज़ारीबाग़ (झारखंड)
दल का नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा
शिक्षा 10वीं पास
पेशा राजनीतिज्ञ
पिता का नाम स्वर्गीय श्री शोबरन सोरेन
जीवनसाथी का नाम श्रीमती रूपी सोरेन
जीवनसाथी का पेशा कृषि आय और डेयरी

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