फेयरवेल स्पीच नहीं दे सकेंगे धनखड़,इस्तीफे को लेकर अटकलें,विपक्ष ने ‘असहमति’ को बताया कारण

नई दिल्ली: जगदीप धनखड़ ने भले ही स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है, लेकिन इसकी टाइमिंग और राजनीतिक पृष्ठभूमि ने इसे एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा बना दिया है. दरअसल, विपक्ष इसे सरकार के साथ उनकी असहमति और दबाव का परिणाम मान रहा है, जबकि सरकार की चुप्पी ने इन अटकलों को और बढ़ावा दिया.

यह घटना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव और संसद की कार्यवाही पर निर्भर करेंगे. यहां तक की राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ अब अपनी फेयरवेल स्पीच भी नहीं देंगे.

सूत्रों की मानें तो उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा केंद्र सरकार विशेष रूप से BJP के नेतृत्व के साथ असहमति से जुड़ा हो सकता है. खास तौर पर हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर धनखड़ द्वारा त्वरित कार्रवाई ने सरकार को असहज कर दिया.

फेयरवेल स्पीच नहीं दे सकेंगे धनखड़
विपक्ष ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया था, जबकि सरकार लोकसभा में इस मुद्दे पर अपनी पहल चाहती थी. यह सरकार के लिए एक रणनीतिक अवसर था, जिसे धनखड़ की कार्रवाई ने कमजोर कर दिया. यहां तक की अब धनखड़ अपनी फेयरवेल स्पीच तक राज्यसभा में नहीं देंगे और ये मुद्दा अब विपक्ष के लिए सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बन गया है.

धनखड़ के इस्तीफे के बाद सरकार की ओर से तत्काल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. मगर सूत्रों की मानें तो पीएम की पार्लियामेंट के दफ्तर में सोमवार को दोपहर 3 बजे से वरिष्ठ मंत्रियों के साथ हुई बैठक काफी देर तक चली.

बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक
वहीं, जगदीप धनखड़ बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में चले गए, जहां विपक्ष के तो सभी नेता मौजूद थे. एक ओर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में विपक्ष के नेता तो मौजूद थे, लेकिन संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजीजू और सदन के नेता जेपी नड्डा उस बैठक में मौजूद नहीं थे.

इस दौरान जगदीप धनखड़ ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल मुरुगन से पूछा कि संसदीय कार्य मंत्री बैठक में क्यों नहीं है, जिसपर एल मुरुगन ने कहा कि वह किसी संसदीय कार्य में व्यस्त हैं. इसके बाद धनखड़ ने ये बैठक मंगलवार तक स्थगित कर दी. सूत्रों की मानें तो धनखड़ ने अगले दिन के लिए न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़े ऐलान की योजना बनाई थी. मगर सोमवार रात तक ही उनका इस्तीफा हो गया.

कांग्रेस ने बताया धनखड़ के प्रति सरकार का असंतोष
इसके अलावा इस्तीफे से ठीक पहले धनखड़ द्वारा बुलाई गई राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के शामिल ना होने को कांग्रेस ने इसे धनखड़ के प्रति सरकार के असंतोष का संकेत माना.

यही नहीं जेपी नड्डा के एक बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि केवल वही रिकॉर्ड में जाएगा जो मैं कहूंगा को भी विपक्ष ने धनखड़ का अपमान बताया. हालांकि, इस्तीफे पर सरकार की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र ने 15 घंटे बाद एक ट्वीट में धनखड़ के योगदान की सराहना की, लेकिन अन्य भाजपा मंत्रियों ने इसपर चुप्पी साध ली . मंगलवार को भी संसद में उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर भाजपा के नेताओं ने टिपण्णी नहीं की मगर विपक्ष जरूर टिप्पणी करता रहा.

विपक्ष के साथ टकराव
गौरतलब है कि धनखड़ का कार्यकाल विपक्ष के साथ लगातार टकराव से भरा रहा. दिसंबर 2024 में विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, जिसमें उन पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार और विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह द्वारा खारिज कर दिया गया था.इस घटना ने धनखड़ और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा दिया मगर अब धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष जरूर सवाल उठा रहा है.

मामले में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके लिए सम्मानजनक है, लेकिन यह उन लोगों के लिए शर्मनाक है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति बनवाया. गौरव गोगोई ने सरकार से पूछा कि क्या उन्हें इस्तीफे की पहले से जानकारी थी और क्या उन्होंने सुचारु हस्तांतरण की योजना बनाई थी.

इसी तरह सांसद हनुमान बेनीवाल ने दावा किया कि यह इस्तीफा दिया गया नहीं, बल्कि उनसे ले लिया गया है. हालांकि, धनखड़ की आलोचना करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि उनका व्यवहार सांसदों के साथ ठीक नहीं था खासकर विपक्ष के नेताओं के साथ.

बहरहाल मामला चाहे कुछ भी हो इस पर अब सरकार रणनीति बनाने में जुट गई है. इसी क्रम में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की,जबतक नए उप राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता तबतक कार्यवाहक सभापति के तौर पर राज्यसभा के कामकाज हरिवंश ही संभालेंगे.

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