ईरान और इजरायल की जंग में अब अमेरिका भी शामिल हो गया है. अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमला किया है. यह हमला पूरी तरह सफल बताया गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “सभी अमेरिकी विमान अब ईरान की हवाई सीमा से बाहर निकल चुके हैं और सुरक्षित घर लौट रहे हैं. सबसे ज्यादा बम फोर्डो नाम की साइट पर गिराए गए.” उन्होंने आगे अमेरिकी सेना की तारीफ करते हुए कहा, “हमारे महान योद्धाओं को बधाई! दुनिया की कोई और सेना ऐसा नहीं कर सकती.” इसके साथ ही कहा कि अब शांति का समय है. हालांकि, अभी तक ईरान की तरफ से इस हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
क्या अमेरिका कर रहा इजरायल की मदद?
अमेरिका ने जब ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया तो वह खुद को सीधे ईरान के साथ युद्ध में ले आया. यह कदम इजरायल की मदद के रूप में देखा जा रहा है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना चाहता है.
यह फैसला खास इसलिए भी है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में वादा किया था कि वह अमेरिका को फिर से मिडिल ईस्ट की जंग में नहीं झोंकेंगे.
हमले से सिर्फ 48 घंटे पहले ट्रंप ने कही थी ये बात
हमले से सिर्फ 48 घंटे पहले ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका दो हफ्ते तक इंतजार करेगा कि क्या ईरान और इजरायल के बीच राजनयिक हल निकल सकता है. उन्होंने कहा था, “अगर बातचीत की संभावना होगी तो मैं दो हफ्तों में फैसला करूंगा कि आगे क्या करना है.” लेकिन अब ट्रंप ने सीधे हमला करने का फैसला ले लिया.
पिछले कुछ महीनों से अमेरिका और ईरान के बीच गुपचुप बातचीत चल रही थी. रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रंप ने इजरायल से कहा था कि वे ईरान पर हमला थोड़ा टाल दें ताकि शांति से हल निकाला जा सके, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बातचीत का रास्ता बंद हो गया है और सीधा सैन्य रास्ता अपनाया गया है.