कैंसर पीडि़त व्यक्ति की सपरिवार आत्महत्या से उठे कई सवाल

गम्हरिया, 24 मई (रिपोर्टर) : गम्हरिया के चित्रगुप्त नगर में फांसी लगाकर आत्महत्या करने वाले टाटा स्टील अधिकारी कृष्ण कुमार उनकी पत्नी डोली देवी, पुत्री कृतिका व मइया का पोस्टमार्टम के बाद पार्वती घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस मामले में मृतक कृष्ण कुमार के पिता सोविंदा तिवारी के बयान पर थाना में आत्महत्या का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस को मिले सुसाइडल नोट में कथित रूप से कृष्ण कुमार का लिखना है कि डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था. वे दो दिन पूर्व ही मुंबई से लौटे थे. कृष्ण कुमार ने आत्महत्या का कारण कैंसर रोग बताया है. उन्होंने इलाज में अपने परिवार, ससुराल वालों एवं कंपनी के कुछ साथियों पर इलाज में मदद नहीं करने की बात कही है. तंग आकर उन्होंने सपरिवार आत्महत्या किए जाने का जिक्र किया है.
इस संबंध में थाना प्रभारी विनोद तिर्की ने बताया कि सुसाइडल नोट के आधार पर मामले की जांच की जा रही है. मृतक के पिता ने शुक्रवार को बताया था कि अपने बेटे के इलाज में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. दो दिन पूर्व ही फ्लाइट से उन्हें मुंबई लेकर गया था. वहां चिकित्सकों ने कीमो थेरेपी कराने की बात कही थी. इसपर पुत्र ने जमशेदपुर में ही इलाज कराने की बात कही और फ्लाइट से ही वापस शहर लौटे थे. इसी बीच गुरुवार को ही उसने यह कदम उठा लिया. इस घटना के बाद परिजनों में मातम छाया हुआ है.

कैंसर इलाज की सारी सुविधाएं एमटीएमएच में

शहर में स्थित कैंसर इलाज के अस्पताल एमटीएमएच के एक अधिकारी ने बताया कि कैंसर के इलाज से आज घबड़ाने के बजाय उसका सामने करने की जरूरत है क्योंकि सरकार से लेकर टाटा स्टील द्वारा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है. आयुष्मान में भी इसका इलाज शामिल है. रतन टाटा साहब का सपना था कि यहां के लोगों को इलाज के लिए मुंबई और दूसरे शहरों में न जाना पड़े. इसके बाद उन्होंने एमटीएमएच को ढेरों सुविधाएं उपलब्ध करायीं. यहां आरंभ से इलाज की सुविधा है. टाटा स्टील कर्मी के लिए तो विशेष सुविधाएं स्वीकृत है. टाटा स्टील कर्मी द्वारा इस प्रकार हिम्मत हारना और अपने पूरे परिवार को समाप्त कर देना, समझ से परे है. दूसरे शहरों में जाकर इलाज कराने वालों को भी फालोअप के लिए यही भेजा जाता है. कैंसर के इलाज और उसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कैंसर सोसाइटी और अस्पताल द्वारा नियमित प्रयास किये जा रहे हैं. उन सुविधाओं का लाभ लिये बिना कृष्ण कुमार द्वारा परिवार सहित इहलीला समाप्त करना अत्यंत दुखदायी और पारिवारिक जीवन के प्रति गंभीर होने के लिए खतरनाक घटना है.
कृष्ण कुमार का परिवार में रहन-सहन बड़ा ही एकाकी था.

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