Chandil जमीन दलाली कांड: अखबार समूह के संपादक व बड़े अधिकारी के हाथ रंगने की खबर पर लोग ले रहे चटखारे

Chandil,13 July : झारखंड में यू पी बेस वाले एक बड़े अखबार समूह में कार्यरत एक बड़े संपादक जो पहले जमशेदपुर में पदस्थापित थे और फिलहाल रांची से यहां का भी काम देखते हैंएवं उनके साथ एक बड़े अधिकारी का नाम ज़मीन दलाली के धंधे में आने से समूह प्रबन्धन पर सबकी निगाहें टिकी हैं कि वह क्या कार्रवाई करता है ,ताकि उसके संस्थापक की गौरवमय साधना इस तरह दलाल किस्म के कर्मियों के हाथों मटियामेट न होने पाए। गत शुक्रवार को चांडिल अनुमंडल में कतिपय ज़मीन दलालों को ग्रामीणों द्वारा घेरकर पिटाई की तैयारी वाला समाचार जंगल में आग की तरह फैल रहा है। इन दलालों को जिला प्रशासन ने पहल कर उन्हें रेस्क्यू करा दिया ,लेकिन यह बात नहीं छिप सकी कि वास्तव में मामला क्या था। यह संजय सिंह कौन हैं जो Aavni Engicon Pvt Ltd के निदेशक हैं और जिनके नाम पर ग्रामीणों की ज़मीन का एग्रीमेंट कराया जा रहा है। ज़मीन खरीद बिक्री कोई गैर कानूनी धंधा नहीं होने के बावजूद ग्रामीणों का गुस्सा क्यों फूटा? अखबार से जुड़े रिपोर्टर से लेकर संपादक और बड़े अधिकारी को इसमें क्या लाभ हो सकता है ? किसी गैर कानूनी धंधे को एक्सपोज़ करने में अखबार से जुड़े लोग किसी साजिश के शिकार होते रहते हैं लेकिन क्या ये लोग स्वयं इस धंधे में लिप्त हैं ? कहा जा रहा है कि जिस भूखंड को लेकर यह मामला सामने आया उसको पिछले कई वर्षों से कब्जे में लेने की कोशिश हो रही है। कथित रूप से धोखाधड़ी करके सीएनटी जमीन लूट में रांची में मीडिया में बैठी इन हस्तियों की भूमिका पर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
कायदे से प्रशासन पूरे मामले की जांच कराता हैं तो झारखंड के कई बड़े अधिकारी और सफेदपोश लोगों का चेहरा सामने आ सकता है। यहां आदिवासियों की सीएनटी जमीन को न केवल धोखाधड़ी करके लूटने की साजिश रची गई हैं ,बल्कि उसी जमीन को दिखाकर बड़े प्रोजेक्ट के लिए लोन स्वीकृत कराने की योजना है। बहरहाल स्थानीय मुखिया, ग्रामप्रधान व अन्य लोगों को मैनेज करने के लिए फोन किए जा रहे हैं। मुखिया व ग्रामप्रधान ने भी दो टूक शब्दों में कह दिया है कि किसी भी कीमत पर आदिवासियों की जमीन नहीं दी जाएगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चांडिल के काठजोड़ गांव में आदिवासी समुदाय के लोगों की काफी जमीन है। इस जमीन पर फार्म हाउस बनाने व एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट लगाने की बात कहते हुए कुछ लोगों ने आदिवासियों से समझौता किया था। समझौता के अनुसार 20 बीघा जमीन की लीज पर बात तय की गयी थी, लेकिन अब 20 के बदले 80 बीघा जमीन के कागजात पर हस्ताक्षर कराने का मामला सामने आया है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले 20 बीघा जमीन पर प्रोजेक्ट लगाने की बात हुई थी लेकिन अब सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे थे और 20 की जगह 80 बीघा जमीन पर प्रोजेक्ट लगाने की बात हो रही थी। इसलिए ग्रामीणों ने चार लोगों को का घेराव किया था जिसमे अखबार से जुड़े लोग भी थे । ग्रामीण पूरे मामले की जानकारी मांग रहे थे। लेकिन जमीन दलाली करने आए लोगों ने ग्रामीणों को जानकारी नहीं दी जिसके बाद ग्रामीण भड़के और उन्हें बंधक बना लिया था। बाद में मुखिया व ग्रामप्रधान के हस्तक्षेप से जमीन दलालों को छोड़ा गया।
इस पूरे प्रकरण के असली खिलाड़ी रांची में बैठे हैं जो रांची से रिमोट कंट्रोल से पूरा खेला कर रहे हैं। अखबार में नौकरी व पहचान को बचाए रखने के लिए संपादक के अधीन काम करने वाले कतिपय लोग मजबूरी में इस जमीन कारोबार में सहयोग कर रहे हैं।
चिलगु पंचायत के मुखिया नरसिंह सरदार ने बताया कि संजय सिंह व रैयतों के बीच एक एकरारनामा हुआ था। जिसमें 20 बीघा जमीन की बात हुई थी, लेकिन अब 80 बीघा हड़पने की तैयारी चल रही हैं। मुखिया ने कहा कि उनको फोन करके मामले को दबाने को कहा जा रहा है। यदि ऐसा नहीं होता है तो मीडिया जगत के कई बड़े लोगों की छवि खराब हो सकती हैं। मुखिया के अनुसार फ़ोन करने वाले दावा करते हैं कि वे राज्य के बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों को भी मैनेज करने में माहिर हैं। मुखिया नरसिंह सरदार ने कहा कि पंचायत का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चांडिल एसडीओ से मुलाकात कर मामले की जांच के लिए लिखित शिकायत करेगा ,ताकि इस पूरे प्रकरण में जो भी लोग शामिल हैं उनका नाम सामने आए और ग्रामीण बेवकूफ बन कर जमीन लुटाने से बच सकें।

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