जमशेदपुर। टीएमएच के सलाहकार डॉ राजन चौधरी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों का लगातार घटना शुरू हो गया है। संदिग्ध मरीजों की पॉजिटिविटी दरों में भी भारी कमी आयी है। उन्होंने कहा कि 3 दिनों की पॉजिटिविटी दर घटकर 18.58 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 दिनों में टीएमएच में 24 लोगों की मौत हुई है जिनमें 20 जिले के वह 4 मरीज सरायकेला खरसावां के हैं। टीएमएच में मात्र 64 मरीज भर्ती हुए हैं। टीएमएच में आईसीयू बेड को छोड़कर अन्य सभी वार्ड में बेड खाली हो रहे हैं। मरीजों की घटती संख्या को देखकर टीएमएच शनिवार से जी1 व जी2 वार्ड को खाली कर मेंटेनेंस का काम शुरू कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों नर्सों व पारा मेडिकल कर्मचारियों की जो कमी थी वह भी अब धीरे-धीरे दूर होने लगी है। अब 17 डॉक्टर 41 नर्स व 23 पारा मेडिकल कर्मचारी संक्रमित बचे हैं। रैपिड एंटीजन टेस्ट की पॉजिटिविटी दर घटकर 0.8 प्रतिशत पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि टीएमएच में अब तक 56372 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। जल्द ही टीएमएच में प्राइवेट में वैक्सीन देने का काम शुरू होगा इसके लिए 30000 कोविशील्ड वैक्सीन का आर्डर दिया गया है जो जल्द आने की संभावना है। टीएमएच यह वैक्सीन सिरम इंस्टीट्यूट से खरीदकर मंगा रही है। उन्होंने कहा की 2डीजी दवा के लिए वेंडर से संपर्क में है जो जल्द मंगाया जाएगा। यह दवा कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीएमएच में ब्लैक फंगस के 7 मरीजों का डायग्नोस्टिक हुआ है जिनमें दो भर्ती है जिनका इलाज चल रहा है अब तक टीएमएच में ब्लैक फंगस से तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस नाक, आंख व दिमाग से शरीर को प्रभावित करता है। जो भाग ब्लैक फंगस से प्रभावित होता है उसे सर्जरी तक करनी पड़ती है चाहे वह शरीर का महत्वपूर्ण भाग आंख ही क्यों ना हो। उन्होंने कहां की अभी भी टीएमएच में ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोग की जाने वाली दवा उपलब्ध नहीं है इसके लिए राज्य सरकार से मांग की गई है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीजों को खासकर एंफोटेरेसिन बी दवा का उपयोग किया जाता है जो मरीजों को 21 दिनों तक दी जाती है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आने में अभी कुछ महीने बाकी है इसलिए बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि वे वैक्सीन ले ले। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की अधिक संभावना है। ऐसे में छोटे बच्चों को अकेले हॉस्पिटल में रहना संभव नहीं होता है इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह वैक्सीन ले ले जिससे बच्चों के साथ रहने की जरूरत पड़ी भी तो उन पर कोरोना का खतरा कम रहेगा।